लैला – मुंशी प्रेमचंद ( Laila – Munshi Premchand)

लैला – मुंशी प्रेमचंद ( Laila – Munshi Premchand) लैला यह कोई न जानता था कि लैला कौन है, कहाँ से आयी है और क्या करती है। एक दिन लोगों ने एक अनुपम सुंदरी को तेहरान के चौक में अपने डफ पर हाफ़िज की यह ग़जल झूम-झूम कर गाते सुना- रसीद मुज़रा कि ऐयामे ग़म … Continue reading लैला – मुंशी प्रेमचंद ( Laila – Munshi Premchand)

लैला – मुंशी प्रेमचंद ( Laila – Munshi Premchand)

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