आभूषण – मुंशी प्रेमचंद (Aabhushan – Munshi Premchand) – Part – 2

आभूषण – मुंशी प्रेमचंद (Aabhushan – Munshi Premchand) मैं इस वक्त गाना नहीं सुनना चाहता। तुम्हें सुनाता ही कौन है क्या मेरे कानों पर भी तुम्हारा अधिकार है फजूल की बमचख… तुमसे मतलब मैं अपने घर में यह कोलाहल न मचने दूँगा तो मेरा घर कहीं और है सुरेशसिंह इसका उत्तर न देकर बोले-इन सबसे … Continue reading आभूषण – मुंशी प्रेमचंद (Aabhushan – Munshi Premchand) – Part – 2